Wednesday, October 10, 2007

hiiii

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता पर हर किसी का अपना सपनो का जहाँ ज़रूर होता है वैसे ही मेरा भी अपना एक जहाँ है- सारा जहाँ , जहाँ मैं , मेरे सपने हकीकतें हैं, कुछ खारी कुछ मीठी ,कुछ बांटने के लिए कुछ सहेजने के लिए कुछ सहने के लिए

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